त्रेता युग की अप्रतिम विरासत ‌ चिंतामणि ताल

ब्यूरो चीफ
अर्चना श्रीवास्तव
जेयू न्यूज चैनल फर्रुखाबाद

कायमगंज मुख्य मार्ग पर उत्तर दिशा मे शुकरल्लापुर तथा हजियापुर से तीन किमी दूरी पर स्थित है नगला नान राजश्वर ग्राम ताल का नगला ब्लाक शमशाबाद में है । यहां नान शब्द का अर्थ उर्दू में दान है इस ग्राम में ब्राह्मण अधिक संख्या में रहते हैं अन्य जातियां भी यहां पर निवास करती हैं। यहां से गंगा नदी लगभग 4,5 किमी दूरी पर उत्तर में है यहां पर एक अति प्राचीन चिंतामणि तालाब हैं जिसे जन श्रुति के अनुसार सतयुग का कहा जाता है कुछ भी हो इसका दो द्वापर युग का होना तो निश्चित है। क्षेत्रीय लोगों के मता अनुसार इसका नाम चिंताहरण तालाब है इसमें स्नान करने से मन की समस्त चिंताएं दूर हो जाती हैं और मां की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं रामचंद्र जी के निर्देश पर मथुरा जाते हुए शत्रुघ्न मैं इसी तालाब में स्नान किया था इसके बाद कंमपिल में रामेश्वर मंदिर की स्थापना करके शिवलिंग स्थापित किया था इस तालाब में स्नान करने से शवेत दाग कोढ़ समाप्त हो जाता है पहले फर्रुखाबाद से कंपिल तक पुराना मुख्य मार्ग था यहां पर भरतपुर के राजा सूरजमल जाट का भी आगमन हुआ था बाद में उन्होंने यहां से वापस जाकर अलवर में भी एक ऐसा ही तालाब बनवाया कन्नौज के राजा सोमदेव में यहां आकरअनुष्ठान किया था और शमशाबाद में चौमुखी महादेव के वह उन दिनों दर्शन करने जाते थे इसी तालाब का जल लेकर युधिष्ठिर ने पांडा बाग में जल ले जाकर पांडेश्वर नाथ महादेव पर चढ़ाया था। सोमदेव ने कन्नौज वापस जाकर चिंतामणि मंदिर बनवाया था यहीं पर अत्रि ऋषि ने 55 दिनों तक तपस्या की थी उसे समय यहां पर जल नहीं था अत्रि ने अपनी पत्नी अनुसूइयासे जल जल लाने कहां उन्हें रास्ते में गंगा रूपी कन्या मिली। उन्होंने एक वर्ष का अनुसूइयासे पति व्रत धर्म मांगा अनुसूइया ने कहां की एक वर्ष की क्या बात मैं अपने पति को जल देने के लिए पूरे जीवन का भी पति व्रत धर्म दे सकती हूं अतः प्रसन्न होकर उन्होंने अनुसूइया कोजल प्रदान किया

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